एक दीवाने की दीवानियत मूवी रिव्यू (2025): हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा की जोड़ी कितनी असरदार?

एक दीवाने की दीवानियत मूवी रिव्यू (2025): हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा की जोड़ी कितनी असरदार?

एक दीवाने की दीवानियत मूवी रिव्यू (2025): हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा की जोड़ी कितनी असरदार?

एक दीवाने की दीवानियत मूवी रिव्यू (2025): हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा की जोड़ी कितनी असरदार?



1. प्रस्तावना: फिल्म का परिचय

फिल्म Ek Deewane Ki Diwaniyat 21 अक्टूबर 2025 को रिलीज़ हुई थी। Wikipedia+2The Times of India+2
निर्देशक हैं Milap Zaveri, तथा मुख्य किरदार निभा रहे हैं Harshvardhan Rane (विक्रम Адित्य भोसल के रूप में) और Sonam Bajwa (आदा रंधावा के रूप में)। Wikipedia+2The Times of India+2
फिल्म का टाइटल हिन्दी में “एक दीवाने की दीवानियत” है — जहाँ ‘दीवानियत’ शब्द से जुनून, पागलपन, समर्पण जैसी भावनाएँ उभरती हैं।

फिल्म का बजट करीब ₹25 करौड़ बताया गया है और रिलीज़ के बाद बॉक्स ऑफिस पर ग्रॉस ₹24 करौड़ दर्ज हुआ था। Wikipedia+1
रिलीज़ के समय यह Diwali के अवसर पर आई थी, जो फिल्म को बड़े प्लेटफार्म पर पेश करने का मौका था। The Times of India+1


2. कहानी का सार

कहानी काफी भावनात्मक है — विक्रम Адित्य भोसल एक युवा राजनीतिक परिवार का है, उसके पिता एक बड़े नेता हैं। (फिल्म में इस परिवार-राजनीति की पृष्ठभूमि है)। Free Press Journal+1
वहीं, आदा रंधावा एक फिल्म-स्टार/फेमस पर्सनालिटी है, जिसके लिए प्यार का मतलब होता है स्वतंत्रता, सम्मान, विकल्प-स्वतंत्रता। The Times of India+1
विक्रम आदा से पहली नजर में ही प्यार कर बैठता है — लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, यह प्यार जुनून में बदल जाता है, और विक्रम की-नज़र में प्यार "मिशन" जैसा हो जाता है — “मुझे उसे पाना है”, “मुझे वो चाहिए”, “मेरी तरह मुझे चाहिए”-माइंडसेट। Free Press Journal
आदा शुरू में इस तरह के एक्सप्रेशन से दूर रहती है, लेकिन फिर परिस्थितियाँ बदलती हैं — विक्रम जोश में, राजनीती में उलझा, और आदा इस दबाव में आ जाती है। प्रेम-नफरत, समझौते और अंततः क्या यह प्यार है या पागलपन? — यह प्रश्न फिल्म उठाती है। ndtv-hindu.com

फिल्म का पहला हाफ अपेक्षाकृत सिंपल लगता है — प्यार, मिलने-जुढ़ने की प्रक्रिया। लेकिन इंटरवल के बाद कहानी तीव्र हो जाती है — संबंधों में दरार, स्वाभिमान का प्रश्न, पर्सनल बनाम पब्लिक लाइफ का टकराव। Film Information+1


3. अभिनय और किरदार

Harshvardhan Rane (विक्रम Адित्य भोसल के रूप में)
उनका किरदार भावनात्मक रूप से उतार-चढ़ाव वाला है। शुरुआत में जब दिल में प्यार खिल रहा है, तब विक्रम सहज लगता है; लेकिन जैसे ही भावनाएँ तीव्र होती हैं, विक्रम का स्वभाव बदलता दिखता है — फैसले, झुकाव, दबाव, खुद की आत्म-छवि — सब कुछ सामने आता है। कई समीक्षाओं ने उनकी earnestness (गंभीरता) की सराहना की है। The Times of India
हालाँकि, कुछ समीक्षाओं ने कहा है कि स्क्रिप्ट की कमज़ोरियों की वजह से उनका प्रदर्शन पूरी तरह प्रभावी नहीं बन पाता। santabanta.com+1

Sonam Bajwa (आदा रंधावा के रूप में)
आदा का किरदार आकर्षक है — फेमस पर्सनालिटी, स्वतंत्र सोच, प्यार में समझ-बुझ का पक्ष। सोनम ने इसे गरिमा के साथ निभाया है। समीक्षकों ने कहा है कि उन्होंने किरदार में संतुलन बना कर रखा है — आकर्षण + स्वाभिमान। The Times of India+1
लेकिन समस्या यह है कि कहानी में आदा को पर्याप्त जगह नहीं मिलती; वह विक्रम की कहानी का हिस्सा लगता है, खुद की कहानी नहीं बन पाती। इस कारण उनका किरदार कमजोर पड़ जाता है। Firstpost

सहायक किरदार
विक्रम के पिता, पार्टीनर, आदा का परिवार आदि मौजूद हैं, लेकिन उनमें बहुत गहराई नहीं है। संवाद-लेखन और विकसित किरदारों की कमी इस बात को दर्शाती है कि फिल्म मुख्य जोड़ी और उनका ड्रामा ही केंद्र में है। The Times of India+1


4. निर्देशन, लेखन और विषय-वस्तु

निर्देशक Milap Zaveri ने एक तरह से “अत्यधिक प्यार = खतरा” का विचार चुना है। लेकिन समस्या यह है कि जिस तरह यह विषय संभाला जाना चाहिए था, फिल्म उसमें पूरी तरह सफल नहीं है।

लेखन
लेखन में निम्न-बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है:

  • विषय: प्यार, जुनून, पागलपन — ये सब हैं। लेकिन इनका संतुलन मुश्किल है। कई समीक्षाओं ने कहा है कि फिल्म “obsession” के स्तर तक जाती है और उसके बाद वह “प्यार” नहीं रह जाता। The Indian Express

  • संवाद और स्क्रिप्ट: संवाद बहुत भारी-भरकम हैं। उदाहरण के लिए “मैं वो रावण हूँ जो सीता को खुद घर छोड़कर आएगा” जैसी पंक्तियाँ देखें। The Times of India कुछ दर्शकों ने इन्हें cringe कहा है। Reddit

  • मूल कथा: नएपन की कमी है। समीक्षकों ने कहा है फिल्म कई पुराने फिल्मों के ट्रॉप्स दोहराती है – जैसे “जुनूनी प्रेमी”, “स्वीकृति के संघर्ष”, “पलटवार में प्यार” आदि। Firstpost+1

दृष्टिकोण (डायरेक्शन / फिल्म की दिशा)
Milap Zaveri का अंदाज़ पहले भी देखा गया है — बड़े इमोशन, हाई ड्रामा, स्लो मोशन, लंबे संवाद। इस फिल्म में भी वही एलिमेंट्स मजबूत हैं। लेकिन कमजोर है कि ये एलिमेंट्स हमेशा कहानी को आगे बढ़ाने में नहीं बल्कि शोभा बढ़ाने में दिखते हैं। https://www.peepingmoon.com/+1
फिल्म का पहला हिस्सा बेहतर है — विजुअली आकर्षक, सेट-अप अच्छा। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, गति धीमी पड़ती है, एक्सेस और घोषणाएं बढ़ जाती हैं। ndtv-hindu.com+1

विषय-वस्तु
प्यार और पागलपन के बीच की रेखा खींचना तो अच्छी बात है — लेकिन जब पागलपन इतना बढ़ जाए कि मुख्य किरदार का स्वाभिमान असर में आये, कहानी की विश्वसनीयता टूट जाए — तब समस्या होती है। कुछ समीक्षाएँ कहती हैं कि यह फिल्म “स्त्री-विरोधी” सन्देश देती है क्योंकि नायक लगातार हाँ न कहने वाली नायिका को झुकाने की कोशिश करता है। The Indian Express


5. तकनीकी पक्ष (सिनेमैटोग्राफी, संगीत, एडिटिंग, सेट-डिजाइन)

सिनेमैटोग्राफी
Nigam Bomzan द्वारा शूट की गई फिल्म विजुअली समझने लायक है। कुछ शॉट्स, ग्लैमरस एंट्री, फिल्म-स्टार लाइफ आदि कॉन्शियसली अच्छे हैं। Film Information+1 लेकिन कुछ हिस्सों में यह भी लगता है कि विजुअल्स सिर्फ दिखावे के लिए हैं — कहानी के लिए जरूरी नहीं।

संपादन & गति
समय लगभग 141 मिनट है। Wikipedia इस लंबाई में कहानी को समेटना चुनौती है। कई समीक्षाएँ कहती हैं कि इंटरवल के बाद फिल्म कुछ खिंची-खिंची लगती है। santabanta.com

म्यूजिक और साउंडट्रैक
यह फिल्म का एक ऐसा पहलू है जहाँ वास्तव में काम किया गया है।

  • गाने जैसे “Deewaniyat”, “Dil Dil Dil” आदि संगीत प्रेमियों में चर्चा में हैं। Film Information+1

  • संगीतकारों में Kunaal Vermaa, Kaushik-Guddu आदि शामिल हैं। Wikipedia+1

  • हालांकि कुछ समीक्षा कहती हैं कि गानों की संख्या ज्यादा है और बैकग्राउंड स्कोर कुछ जगहों पर ओवरडोन है। santabanta.com

सेट-डिजाइन / प्रोडक्शन-वैल्यू
फिल्म बड़े परिवेश में बनी है — फिल्म-स्टार लाइफ, राजनीति, ग्लैमरस लोक — इसलिए सेट-डिजाईन और प्रोडक्शन-वैल्यू में कमी नहीं दिखती। Film Information


6. क्या काम कर गया?

  • लीड एक्टर्स की जोड़ी: Harshvardhan Rane और Sonam Bajwa के किरदार में केमिस्ट्री कुछ-कुछ असरदार दिखती है। कई दर्शकों ने कहा कि उनका मिलन और भावनात्मक पल resonate करता है। DNP INDIA

  • म्यूजिक / साउंडट्रैक: संगीत का पल बहुत-से हिस्सों में काम करता है — गाने, बैकग्राउंड स्कोर, दृश्य म्यूजिक के साथ ताल-मेल। यह उस अनुभव को बढ़ाता है जब फिल्म इमोशनल मोड़ पर होती है।

  • विषय की ओर कोशिश: प्रेम-पागलपन की रेखा खींचना एक अच्छा आइडिया था; निर्देशक ने आकर्षक शॉट्स, लोकेशंस और मूड बनाने की कोशिश की है।


7. क्या काम नहीं किया?

  • स्क्रिप्ट & ओरिजनैलिटी की कमी: जैसा पहले कहा गया — फिल्म कई पुराने ट्रॉप्स को दोहराती है। प्रेम-पागलपन-जुनून की थ्रेड बहुत-बार इस्तेमाल हो चुकी है। Firstpost

  • किरदारों का विकास कमजोर: आदा का किरदार, विक्रम के पिता-परिवार आदि का विस्तार नहीं होता; फिल्म मुख्य जोड़ी पर टिकी है। इस कारण ए मोमेंट्स कमजोर पड़ जाते हैं।

  • टोनल असंगति: पहले हाफ में रोमांस है, बाद में ड्रामे का विस्फोट। यह बदलाव कुछ जगहों पर संतुलित नहीं लगता। ndtv-hindu.com

  • मेसेज / नैतिकता का आयाम: कुछ समीक्षाएँ कहती हैं कि फिल्म “स्टॉकर-प्रीम्सड लव” को एक तरह से स्वीकार करती दिखाई देती है। यानी ‘ना’ कहने वाली महिला पर लगातार दबाव, और इसे रोमांस के नाम पर दिखाना चिंता की बात है। The Indian Express


8. दर्शक प्रतिक्रिया & बॉक्स-ऑफिस

  • सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है। कई ने कहा: “एक बार देख सकते हैं” (one-time watch)। The Economic Times

  • Reddit पर दर्शकों को क्रिंज फीलिंग आई — जैसे:

    “Interval point alag hi comedy level ka cringe tha bhai, main toh sunke shock mein chala kya ki yeh kya hi ho raha hai” Reddit

  • ट्रेडिंग प्रेस ने कहा है कि पहली दिन की कमाई लगभग ₹8.50 करौड़ रही। Maharashtra Times+1

  • समग्रता में कहा जा सकता है कि फिल्म की कमाई “औसत” रही — संगीत के बल पर शुरुआत ठीक रही लेकिन लंबे समय तक बनी नहीं। Film Information


9.Favourite सिकुएंसेज / ज़ूम इन मोमेंट्स

(यहाँ कुछ ऐसे विशेष क्षण दिए जा रहे हैं जो देखने लायक हैं, साथ ही उनमें कमी भी है)

  • पहली मुलाक़ात-सीन: विक्रम और आदा का मिलना आकर्षक तरीके से फिल्माया गया है — लोकेशन, म्यूजिक, विजुअल्स सब अच्छा है।

  • गाना-मोंटाज सीक्वेंस: जब गाना चलता है और दो-तीन शॉट्स में प्यार-मिलना दिखता है — ये हिस्से रोमांटिक मोड में काम करते हैं।

  • टर्निंग-पॉइंट: जब विक्रम का प्यार जुनून में बदलता है — उस बदलाव का दृश्य-प्रभाव अच्छा है, लेकिन लिखाई कमजोर है।

  • क्लाइमेक्स: फिल्म का अंत-सीन जहाँ विक्रम को अपनी पसंद-नापसंद, आदा की राय, राजनीतिक दबाव, सार्वजनिक छवि — सब कुछ मिला कर फैसला करना है। यह हिस्सा दर्शकों के लिए ‘कुछ’ करता है लेकिन जितनी गहराई चाहिए थी, वो नहीं देता।


10. विश्लेषण: क्यों “दीवानीyat”?

फिल्म का नाम “Ek Deewane Ki Diwaniyat” इसलिए चुन गया होगा क्योंकि यह सिर्फ प्यार की कहानी नहीं है — यह उस प्यार की ‘स्थिति’ है जहाँ व्यक्ति स्वयं को भूल कर दूसरे में खो जाता है। ‘दीवाना’ वो है जो सीमा-रेखा पार कर देता है। इसलिए ‘दीवानियत’ (हालाँकि कुछ लोगों ने इस शब्द की भाषा-शुद्धता पर सवाल उठाया है) उस अवस्था को दर्शाती है। Reddit पर एक यूज़र ने लिखा:

“> Is deewaniyat an actual word?” Reddit
लेकिन व्यावहारिक रूप से यह शब्द फिल्म के मड-मूड के अनुरूप है — जब प्यार जुनून-का रूप ले लेता है, और व्यक्ति खो जाता है।

फिल्म का उद्देश्य यही दिखाना लगता है: प्यार कितना खूबसूरत हो सकता है, लेकिन जब वह पक्षपाती, नियंत्रण-उन्मुख, निर्बाध हो जाए — तब वह टूटने का खतरा बन जाता है। इस दृष्टिकोण से फिल्म ने कोशिश की है। लेकिन समस्या यह है कि इसे जितना गंभीर, गहराई में जाना चाहिए था, उतना गया नहीं।


11. दर्शक-वर्ग और अपेक्षाएँ

अगर आप हैं:

  • ऐसे दर्शक जिन्हें भारी-भावनात्मक रॉमांस पसंद है,

  • जिनको साहसिक, म्यूजिकल प्रेम-कहानी चाहिए,

  • जिनको 90s-छाप की ‘जुनूनी प्रेमी’ वाली कहानियाँ याद आती हैं —

तो यह फिल्म आपके लिए कुछ-न-कुछ दे सकती है।

लेकिन अगर आप चाहते हैं:

  • आधुनिक, संवेदनशील, बहुत अधिक सोच-विचार वाला प्रेम-कहानी,

  • किरदारों की मनोदशा, नैतिक द्वंद्व, या रिलेशनशिप डायनामिक्स पर गहराई से जाना —
    तो यह फिल्म शायद उसमें पूरी तरह सफल नहीं होगी।


12. निष्कर्ष

Ek Deewane Ki Diwaniyat एक ऐसी फिल्म है जिसमें इच्छा-शक्ति, जुनून, चाहत-अभाव सब कुछ दिखाया गया है, लेकिन जिन हिस्सों में उसे क्षमता से दिखाया जाना चाहिए था — वहाँ कुछ चूके गए-लगते हैं।
- प्रदर्शन की क्षमता है, लेकिन स्क्रिप्ट-और-लेखन ने उसे पूरी तरह पकड़ नहीं पाया।
- संगीत और विजुअल्स आकर्षित करते हैं, लेकिन कहानी का टुकड़ा-टुकड़ा होना इसे कमजोर बनाता है।
- जब प्यार-कहानी ‘हदों से बाहर’ उतरती है और उसे नियंत्रित नहीं किया जाता — तब फिल्म के लिए चुनौतियाँ पैदा होती हैं।

अगर एक पीढ़ी-पुरानी “जुनूनी प्रेमी” वाली फिल्म देखने का मूड हो — तो यह काम करेगी। लेकिन इसे क्लासिक या निरंतर प्रभाव छोड़ने वाला प्रेम-कहानी मानना शायद जायज़ नहीं होगा।


  1. एक दीवाने की दीवानियत: जब प्यार हदें पार कर जाए”

  2. “दीवानगी या सच्चा इश्क़? एक दीवाने की दीवानियत की कहानी”

  3. “प्यार, पागलपन और सियासत – एक दीवाने की दीवानियत का सफ़र”

  4. “दिल से दीवानगी तक: एक दीवाने की दीवानियत की समीक्षा”


  • एक दीवाने की दीवानियत मूवी रिव्यू (2025): हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा की जोड़ी कितनी असरदार?”

  • “एक दीवाने की दीवानियत फिल्म समीक्षा: प्यार या पागलपन?”

  • “मिलाप ज़वेरी की एक दीवाने की दीवानियत – जुनून भरा इश्क़ या बेवकूफी भरा प्यार?”

  • “एक दीवाने की दीवानियत रिव्यू: रोमांस की हदें और रिश्तों की सच्चाई”

  • जब प्यार पागलपन बन जाए – एक दीवाने की दीवानियत की पूरी कहानी”

  • “इश्क़ की इंतिहा: एक दीवाने की दीवानियत का सच”

  • “दीवानगी की हदें पार – एक दीवाने की दीवानियत रिव्यू”

  • “क्या यही प्यार है? एक दीवाने की दीवानियत का विश्लेषण”

  • एक दीवाने की दीवानियत रिव्यू: जब प्यार दीवानगी बन जाए”
    2. “प्यार या पागलपन? एक दीवाने की दीवानियत की सच्चाई”
    3. “दिल से दीवानगी तक – एक दीवाने की दीवानियत मूवी समीक्षा (2025)”

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